पंजाब इस समय भीषण बाढ़ की चपेट में है। गांव-गांव पानी में डूबे हुए हैं और लोगों को अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर जाना पड़ा है। राज्य सरकार ने सभी 23 जिलों को बाढ़ प्रभावित घोषित किया है। शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, 1,902 गांव डूब चुके हैं, 3.8 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं और करीब 11.7 लाख हेक्टेयर खेती की जमीन बर्बाद हो चुकी है। अब तक कम से कम 43 लोगों की मौत भी हो चुकी है।
राहत और बचाव में चुनौतियाँ
सरकार राहत सामग्री और बचाव कार्य लगातार चला रही है, लेकिन फिर भी लोगों की समस्याओं को खत्म करना आसान नहीं है। बाढ़ से तबाह हुए लोग लंबे समय तक इस भयावह स्थिति से बाहर नहीं निकल पाएंगे। सबसे बड़ी चुनौती है – लोगों को सुरक्षित ठिकाना देना और उनके जीवन को फिर से पटरी पर लाना।
पंजाब में बार-बार क्यों आती है बाढ़?
पंजाब को पांच नदियों की भूमि कहा जाता है। यही भौगोलिक स्थिति इसे प्राकृतिक रूप से बाढ़ प्रभावित क्षेत्र बना देती है। लेकिन केवल प्रकृति ही नहीं, मानव कारक भी बाढ़ की स्थिति को और खराब कर देते हैं।
पंजाब की नदियाँ और बाढ़ का खतरा
पंजाब से होकर तीन बड़ी नदियाँ – रावी, ब्यास और सतलुज बहती हैं।
- रावी नदी – पठानकोट और गुरदासपुर से गुजरती है।
- ब्यास नदी – होशियारपुर, गुरदासपुर, कपूरथला, अमृतसर, तरन तारन और हरिके क्षेत्र से गुजरती है।
- सतलुज नदी – नंगल, रूपनगर, नवांशहर, जालंधर, लुधियाना, मोगा, फिरोजपुर और तरन तारन से बहती है।
इसके अलावा, घग्गर नदी और पहाड़ी नाले भी इस इलाके में बहते हैं। ये नदियाँ एक ओर पंजाब की जमीन को उपजाऊ बनाती हैं, लेकिन मानसून में इनके उफान से भारी तबाही मचती है।
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तीसरा कारण: कमजोर जल प्रबंधन
विशेषज्ञों के अनुसार, पंजाब में बाढ़ की तीसरी बड़ी वजह है कमजोर गवर्नेंस और डैम मैनेजमेंट। लंबे समय से बांधों के बेहतर प्रबंधन की मांग की जा रही है, लेकिन अभी तक हालात नहीं सुधरे। इस साल भी जब 26 अगस्त को थीन डैम से पानी छोड़ा गया, उसी समय माधोपुर बैराज के दो गेट टूट गए, जिसके चलते रावी नदी उफान पर आ गई और कई इलाकों में बाढ़ आ गई।